10 दिन बाद भी सतपुड़ा भवन में बिजली व्यवस्था नहीं हुई बहाल


भोपाल । सतपुड़ा भवन में 10 दिन बाद भी बिजली व्यवस्था बहाल नहीं हो पाई है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक ऊपर से आदेश नहीं आएगा बिजली व्यवस्था शुरू नहीं की जाएगी। उधर, सतपुड़ा भवन की आग ने पश्चिमी विंग को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। आलम अब ऐसे हैं कि इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस के स्टेण्डर्ड मापदंडों के हिसाब से प्रभावित पश्चिमी विंग वापस इस्तेमाल लायक नहीं रही। अभी सात सदस्यीय विशेष टीम इस बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल हेल्थ ऑडिट कर रही है। यह ऑडिट इन्हीं मापदंडों के आधार होगा। वहीं आग ने नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर(एनआईसी) यानी सरकारी सर्वर को भी ठप कर दिया है। इससे स्कॉलरशिप, पेंशन और अनाज खरीदी जैसे काम 9 दिन से ठप हैं। सतपुड़ा भवन में जब तक बिजली की सप्लाई नहीं की जा रही, तब तक इसके बहाल होने की संभावना भी नहीं है। एनआईसी का दफ्तर सतपुड़ा की पश्चिमी विंग में ही है।
नेशनल बिल्डिंग एक्ट 2016 के अनुसार सामान्यत: 700 से 800 डिग्री सेल्सियस तक आग लगने वाली बिल्डिंग को वापस उपयोग लायक नहीं माना जाता। वजह ये कि 1500 डिग्री सेल्सियस तक आग पहुंचने पर लोहा तक पिघल जाता है। सतपुड़ा भवन की आग तो 1700 डिग्री सेल्सियस पार तक पहुंची है। इसलिए स्टेण्डर्ड नियमों के हिसाब से इसका उपयोग अब मुश्किल है। हालांकि अभी इस पर फैसला लिया जाना बाकी है। लोक निर्माण विभाग की सात सदस्यीय विशेष टीम बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल हेल्थ ऑडिट कर रही है। इसमें बिल्डिंग के उपयोग को लेकर हर पहलु देखा जा रहा है। इसके तहत कितने टेम्प्रेचर तक आग पहुंची और अब बिल्डिंग उपयोग लायक है या नहीं इसे देखा जाना है। यह कमेटी 10 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देगी।

स्ट्रक्चर का होगा हेल्थ ऑडिट
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने उच्च स्तर की बैठक में तय कर दिया कि आग से क्षतिग्रस्त हुए सतपुड़ा भवन के पश्चिमी विंग के स्ट्रक्चर का अलग से हेल्थ ऑडिट होगा। नेशनल बिल्डिंग संहिता (एनबीसी) कहती है कि यदि किसी भवन में आग की वजह से तापमान 800 डिग्री तक चला जाए तो नुकसान भविष्य में भी हो सकता है। गौरतलब है कि हाईपॉवर कमेटी के प्रमुख गृह विभाग के एसीएस डा. राजेश राजौरा की रिपोर्ट में पश्चिमी विंग में आग से 2542 वर्गमीटर हिस्सा पूरी तरह बर्बाद हुआ है, जबकि 1671 वर्ग मीटर क्षेत्र आंशिक रूप से बर्बाद हुआ है। जबकि, आग 1700 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गई थी, जिससे छत के लोहे तक कई जगह पिघले हैं। सामान्यत: ये माना जाता है कि दीवार के अंदर की वायरिंग, पाइल लाइन और लोहे की पतली छड़े पिघली हो सकती है। इसलिए इसे लेकर स्टेण्डर्ड मापदंडों को देखा जा रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान छठवीं और चौथी मंजिल पर हुआ है। छठवीं मंजिल पर 878.36 और चौथी मंजिल पर 827 वर्गमीटर हिस्सा पूरी तरह बर्बाद हुआ है। बाकी तीसरी, पांचवीं व छठवीं मंजिल पर भी आग से भारी नुकसान हुआ है, लेकिन ग्राउंड फ्लोर, प्रथम व द्वितीय मंजिल पर आग नहीं थी। इसलिए इस हिस्से को नुकसान नहीं हुआ, लेकिन ऊपर की मंजिलों को उपयोग में लाना मुश्किल है। ऐसे में इन्हें वापस बनाने की भी जरूरत लग सकती है या फिर भारी पैमाने पर पुनर्निमाण करना होगा। सरकार ने तय किया है कि भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में एसडीआरएफ की टीम बनेगी। यह सिर्फ हाई राइज बिल्डिंग के रखरखाव को ही देखेंगे।

10 दिन से सर्वर ठप
आईएएस डॉ. राजेश राजौरा की जांच कमेटी ने पाया था कि तापमान 1200 से 1500 डिग्री तक चला गया था। 2,50 अफसरों और कर्मचारियों के लिए तीन दिन पहले सोमवार को भवन की क और ख विंग खोल दी गई थीं, लेकिन गुरूवार तक यहां बिजली नहीं चालू हो सकीं। 10 दिन से बिजली नहीं होने के कारण कई काम अटक गए हैं। ई-उपार्जन अनाज खरीदी का सबसे बड़ा पोर्टल है। इसके बंद होने से प्रदेश भर में किसानों का भुगतान भी अटक गया है। स्कॉलरशिप पोर्टल से अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ावर्ग और सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति संचालित होती है। ये काम भी बंद हो गया है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना पोर्टल सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन विभाग इसे संचालित करता है। इसमें सभी तरह की पेंशन योजनाएं चलती हैं। जिसका काम बंद है। स्पर्श पोर्टल के कारण बहु विकलांग-नि:शक्तजन का काम भी इससे प्रभावित है।