हैरिसबर्ग । पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की समाजशास्त्री जेसिका ने 1996 से 2019 तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इसमें डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाइयां और मरीजों द्वारा जो दवाइयां खाई जा रही हैं। उसका विश्लेषण किया है। 1996 में किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति पांच किस्म की दवाइयां खाने के बारे में सोचता भी नहीं था। डॉक्टर भी बीमारी के समय दो या तीन दवाइयां से ज्यादा पर्चे में नहीं लिखते थे। 2019 के बाद से डॉक्टरों द्वारा रोजाना कम से कम पांच किस्म की दवाइयां, 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले मरीजों के लिए लिखना पड़ रही है। जेसिका का कहना है कि चिकित्सा प्रणाली में हुए बदलाव के बाद नियमित जीवन में दवाओं की भूमिका काफी बढ़ गई है। निष्कर्ष में एक बात यह भी सामने आई कि महिलाएं,पुरुषों की तुलना में ज्यादा दवाई खाती है। 15 साल की उम्र के बाद महिलाएं दवा लेना शुरू कर देती हैं। शायद यही कारण है, कि उन्हें दवाओं की ज्यादा जरूरत पड़ती है।