चंद्रग्रहण और सुपरमून की अद्भुत संयोग का अद्वितीय अवसर
वॉशिंगटन । चंद्रग्रहण, जो अंतरिक्ष विज्ञानियों और खगोलप्रेमियों के लिए एक रोमांचक घटना है, 18 सितंबर को साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण लेकर आ रहा है। इस बार घटना खास है क्योंकि इसमें एक दुर्लभ खगोलीय संयोग भी दिखेगा-सुपरमून और चंद्रग्रहण दोनों एक साथ हो रहे है। चंद्रग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं, जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और एक शानदार दृश्य उत्पन्न होता है।
चंद्रग्रहण तीन प्रकार का होता है, उपछाया चंद्रग्रहण, आंशिक चंद्रग्रहण, और पूर्ण चंद्रग्रहण। 18 को होने वाला चंद्रग्रहण आंशिक और उपछाया दोनों ही प्रकार का होगा। इस दिन, चंद्रग्रहण का चरम समय भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजकर 14 मिनट पर होगा। चंद्रग्रहण सुबह 6:11 बजे से शुरू होगा और 10:17 बजे तक चलेगा, जो कुल मिलाकर 4 घंटे 6 मिनट तक चलेगा। उपछाया चंद्रग्रहण की शुरुआत सुबह 6:11 बजे होगी, इसके बाद आंशिक चंद्रग्रहण 7:42 बजे से शुरू होगा। आंशिक ग्रहण सुबह 8:45 बजे समाप्त होगा, और उपछाया चंद्रग्रहण 10:17 बजे खत्म होगा।
हालांकि, भारत में चंद्रग्रहण का यह दृश्य देखना संभव नहीं होगा क्योंकि यह सुबह के समय होगा जब चंद्रमा क्षितिज के नीचे होगा। लेकिन, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका के कुछ हिस्से, पश्चिमी एशिया, रूस और अंटार्कटिका में इसे देखा जा सकेगा। इसके अलावा, इस समय एक और खगोलीय घटना हो रही है—सुपरमून। इसे हार्वेस्ट मून के नाम से जाना जाता है और यह उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मियों की आखिरी पूर्णिमा मानी जाती है।