यूएई और रूस मिलकर बढ़ाएंगे अमेरिका की मुश्किलें
मॉस्को । यूक्रेन की जंग की वजह से जहां पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंध बिगड़े तो वहीं भारत से उसके रिश्ते और मजबूत हो गए हैं। भारत अब रूस से तेल आयात करने के मामले में तीसरे नंबर पर आ गया है। पहले स्थान पर चीन और दूसरे पर अमेरिका हैं। जंग की शुरुआत से ही भारत को रूस से सस्ता तेल मिल रहा है। सबसे दिलचस्प बात है कि भारत इसके लिए डॉलर नहीं बल्कि दिरहम में पेमेंट कर रहा है। यह बात अमेरिका और यूरोपियन देशों को परेशान कर सकती है। हालांकि हमेशा से यह बात अमेरिका के लिए परेशानी की वजह थी कि भारत, रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है। लेकिन सूत्रों की मानें तो भारतीय रिफाइनरीज दिरहम में रूस के साथ तेल का व्यापार कर रही हैं। भारत और रूस के बीच ऑयल ट्रेड मार्च में 1।64 मिलियन बैरल प्रति दिन के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया। लेकिन इसमें थोड़ी सी स्थिरता आई है। इस नए आंकड़ें के साथ ही रूस ने भारत के पारंपरिक तेल सप्लायर इराक की जगह ले ली है। अब इराक नहीं बल्कि रूस भारत को तेल सप्लाई के मामले में नंबर वन है। वोर्टेक्सा जो एनर्जी सप्लाई पर नजर रखने वाली एजेंसी है, उसकी तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक रूस अब कच्चे तेल का एकमात्र सबसे बड़ा सप्लायर बन रहा है। लगातार छठे महीने में भारत ने रूस से एक तिहाई से ज्यादा तेल खरीदा है।
भारत ने इराक की तुलना में रूस से दोगुना तेल खरीदा। साल 2017-18 तक इराक भारत का टॉप ऑयल सप्लायर था और यह प्रति दिन 0।82 मिलियन बैरल तेल भारत को सप्लाई कर रहा था। भारत के अलावा चीन और अमेरिका ने रूस से सस्ता तेल खरीदा है। रूस से भारत का पेट्रोलियम आयात फरवरी में 1।62 मिलियन बैरल से थोड़ा बढ़ गया है। वोर्टेक्सा के अनुसार, सऊदी अरब इस मामले में दूसरे नंबर पर है। उसने मार्च में भारत को 986,288 मिलियन बैरल तेल की बिक्री की। जबकि 821,952 बीपीडी की बिक्री के साथ इराक तीसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर रहा। 313,002 बीपीडी के साथ, यूएई चौथा सबसे बड़ा सप्लायर बना और उसने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया।