तीन दिन वन रेंजरों को दौड़ा रही बाघिन खाई में जाकर छिपी....
रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व के नौरादेही से भागी बाघिन कजरी की तलाश के लिए अब नौरादेही से हथिनी चंदा और हाथी नील की मदद ली जा रही है, जो तेजगढ़ पहुंच गए हैं।
बता दें कि 27 मार्च की रात बाघिन और बाघ को नौरादेही के जंगल में छोड़ा गया था। बाघिन वहां से भागकर पहले दमोह के तेंदूखेड़ा पहुंची और वहां से तेजगढ़ के जंगल में डेरा डाल लिया।
बाघिन कजरी को पकड़ने के लिए नौरादेही के वनमंडल अधिकारी अब्दुल अंसारी, दमोह वनमंडल अधिकारी एमएस उईके और कई रेंजों के रेंजर शुक्रवार से बाघिन को पकड़ने के प्रयास में जंगल में डेरा जमाए हुए हैं। पिंजरा रखकर बाघिन को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन शनिवार को भी बाघिन हाथ नहीं आई।
खाई में छिपी है बाघिन
गुरुवार की रात बाघिन कजरी झलौन वन परिक्षेत्र की सीमा से होकर तेजगढ़ वन परिक्षेत्र की सीमा में पहुंच गई थी। रात में ही उसने गुबरा के जंगलों में एक बैल का शिकार किया था। उसके बाद आगे समदाई गांव पास एक खाई में जाकर छिप गई। उसे पकड़ने के लिए शुक्रवार को नौरादेही की टीम उस स्थान पर पहुंची थी। शुक्रवार की रात बाघिन वहां से कंसा और कलमली के जंगल की ओर चली गई। शनिवार को सुबह घूमती रही। फिर उसी खाई में फिर छिप गई। टीम तीन दिन से उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे लगी है।
हाथियों से ली जाएगी मदद
नौरादेही और दमोह के डीएफओ तेजगढ़ के उस स्थान पर शुक्रवार से रुके हुए हैं। बाघिन की हर गतिविधि पर नजर रख रखे हैं, लेकिन बाघिन ऐसी जगह छिपी है, जहां उसका रेस्क्यू करना टीम के लिए मुश्किल हो रहा है। इसलिए शनिवार को नोरादेही से नील और चंदा नामक के हाथियों को तेजगढ़ लाया गया है। उनकी मदद से बाघिन को पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है। अब हाथियों को लाया गया है। अब टीम इन हाथियों की मदद से उस खाई के समीप जाएगी और बाघिन का रेस्क्यू करेगी।
सूत्रों से ये भी जानकारी मिल रही है कि रेस्क्यू ऑपरेशन के पूर्व बाघिन को बेहोश किया जाएगा। उसके लिए बांधवगढ़ से डॉक्टर की टीम भी तेजगढ़ पहुंचने वाली है। बाघिन को पकड़ने के बारे में नौरादेही और दमोह वनमंडल अधिकारी से जानकारी के लिए संपर्क किया, लेकिन उनका मोबाइल फोन कवरेज एरिया से बाहर रहा। इसलिए संपर्क नहीं हुआ। वहीं नोरादेही और तेंदूखेड़ा की उपवन मंडल अधिकारी रेखा पटेल ने भी फोन रिसीव नहीं किया।