मध्य प्रदेश में शराब बंदी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के अभियान की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनका नाम लिए बिना हवा निकाल दी है। मुख्यमंत्री चौहान ने शराब बंदी से मना नहीं किया लेकिन यह कह दिया है कि केवल दारू बंद करने से बंद हो जाएगी तो उन्हें शराब बंद करने में एक दिन नहीं लगेगा। मगर यह होता नहीं है और इसलिए नशामुक्त समाज बनाने का अभियान चलाया जाएगा। जैसे-जैसे यह अभियान चलेगा लोग शराब छोड़ेंगे तो अपने आप शराब की दुकानें बंद हो जाएंगी।

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती कई महीनों से शराब बंदी के अभियान के लिए प्रयासरत हैं। अभियान की कई तारीखें दी हैं लेकिन कभी गंगा यात्रा तो कभी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के कारण से इसे वे टालती रहीं। अब जब वे फ्री हो गई हैं तो उन्होंने इसके लिए फिर कोशिशें की हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी बात की। नई शराब नीति आने के पहले शराब की दुकान पर जाकर लोगों की राय ली और एक दुकान पर पत्थर भी फेंका मगर शराब नीति आई तो उनकी बात को नजर अंदाज कर दिया गया। इससे नाराज होकर उन्होंने सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश सरकार को शराब बेचकर राजस्व कमाने के आरोप लगाए थे। यही नहीं उन्होंने भाजपा के गैर भाजपा शासित राज्यों में शराब बंदी के खिलाफ मोर्चा खोलने का तर्क भी दिया। शराब बंदी के लिए पिछले महीने शराब की दुकान पर उनके पत्थर फेंके जाने की घटना से प्रेरित होकर सागर के देवरी में महिलाओं ने एक शराब की दुकान पर पत्थर भी फेंके और प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, छतरपुर सहित  कई स्थानों पर शराब दुकानों का विरोध होने लगा।

मुख्यमंत्री ने विरोध को नजरअंदाज कर ऐसे दिया जवाब

उमा भारती के शराब बंदी अभियान को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ इस तरह जवाब दिया जिसमें शराब बंदी के विरोधी होने की बात होने के बाद भी खुलकर सुनाई नहीं दी। उन्होंने कह दिया कि अगर दारू बंद करने से दारू बंद हो जाएगी तो वे एक दिन नहीं लगाएंगे इसे बंद करने में। मगर ऐसा होता नहीं है। इसके लिए पहले नशामुक्त समाज बनाने की जरूरत है। पहले नशामुक्त समाज के लिए अभियान चलाने की जरूरत है और इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। जैसे जैसे समाज नशामुक्त होगा वैसे वैसे शराब की दुकानें अपने आप बंद हो जाएंगी।