संयुक्त राष्ट्र। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारत को लेकर बढ़ती दिलचस्पी से देश को फायदा हो रहा है। ये कंपनियां विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति व्यवस्था को विविध रूप देने की रणनीतियों के संदर्भ में भारत को एक वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देख रही हैं। इससे भारत में निवेश मजबूत बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की हाल ही में अजारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। सतत विकास वित्तपोषण रिपोर्ट 2024: विकास के लिए वित्तपोषण एक चौराहे पर (एफएसडीआर 2024) शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास के लिए जरूरी वित्तपोषण अंतर को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर राशि जुटाने को लेकर तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्तपोषण का यह अंतर अब सालाना 4,200 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। कोविड-19 महामारी से पहले यह 2,500 अरब डॉलर था। इस बीच, वैश्विक स्तर पर बढ़ते राजनीतिक तनाव, जलवायु आपदाओं और जीवनयापन के स्तर पर वैश्विक संकट ने अरबों लोगों को प्रभावित किया है। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य विकास लक्ष्यों के मामले में प्रगति प्रभावित हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर निवेश नरम रहने की संभावना है। इसमें कहा गया है ‎कि इसके ‎विपरीत दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत में निवेश मजबूत बना हुआ है। भारत को लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती रुचि से देश को लाभ हो रहा है। ये कंपनियां इसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति व्यवस्था को विविध रूप देने की रणनीतियों के संदर्भ में एक वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देख रही हैं।