बैतूल ।  आठनेर विकासखंड के मांडवी गांव में मंगलवार शाम पांच बजे बोरवेल में गिरे आठ साल के तन्मय को 84 घंटों के प्रयासों के बाद भी नही बचाया जा सका। शनिवार सुबह बचाव दल ने उसका शव बाहर निकाला। चार दिन तक चले बचाव अभियान को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। जिस स्थान पर बोरवेल था वह पथरीला क्षेत्र है। कुछ फीट की गहराई के बाद मुरम और चट्टान है। घटना का पता चलने के बाद मंगलवार शाम को एसडीइआरएफ की टीम जब मौके पर पहुंची तो बोरवेल के पास सुरंग बनाने का काम शुरू किया गया। तकनीकी जानकारों का मानना है कि क्षेत्र की जमीन कैसी है, इसका आकलन किए बिना ही खोदाई करने का निर्णय ले लिया गया। छह फीट की खोदाई करने के बाद जब पोकलेन मशीन और बुलडोजर से पत्थरों को तोड़ने में मुश्किलें आने लगीं, तब दूसरी ओर से खोदाई करने का निर्णय लिया गया। पूरी रात खोदाई के बाद भी कुछ हासिल नहीं हो पाया। इसके बाद भी प्रशासन और बचाव दल ने किसी अन्य विकल्प और सेना की मदद लेने जैसा कदम नहीं उठाया।

दक्ष अमले की रही कमी

बोरवेल के पास 45 फीट की गहराई तक खोदाई करने के बाद जब 10 फीट लंबी सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ तो इसमें दक्ष अमले की कमी से भी देरी हुई। स्थानीय कुछ लोगों को सुरंग बनाने के लिए जुटाया गया। एनडीईआरएफ और एसडीईआरएफ की टीम के साथ स्थानीय लोगों ने सुरंग बनाना शुरू किया।

काले पत्थर से आई मुश्किल

तन्मय को बचाने के लिए 10 फीट लंबी सुरंग बनाने का काम गुरुवार शाम को शुरू किया गया। लेकिन शुक्रवार सुबह तक छह फीट की ही खोदाई हो पाई। काले पत्थर की चट्टान और पानी का रिसाव बचाव दल के लिए बड़ी समस्या बन गया था। पांच फीट की खोदाई करने में टीम को करीब 20 घंटे का वक्त लग गया।

जब उम्मीद की रोशनी बुझ गई

तन्मय के मंगलवार शाम करीब पांच बजे बोरवेल में गिरने के ढाई घंटे बाद एसडीईआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई थी। बोरवेल के भीतर आक्सीजन पहुंचाई गई, सीसीटीवी कैमरे से तन्मय की स्थिति का आकलन किया गया। इसके बाद बचाव टीम ने फैसला किया कि तन्मय के दोनो हाथ गड्ढे में ऊपर दिखाई दे रहे हैं। उनमें रस्सी बांधकर ऊपर खींचने का प्रयास किया जाए। मौके पर मौजूद कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस को इस उपाय की जानकारी दी और बचाव दल ने रस्सी को तन्मय के हाथों में फंसाने की मशक्कत शुरू कर दी। रात करीब 10.30 बजे तन्मय के एक हाथ में रस्सी फंस गई। पहले उसे हाथों से ऊपर खींचने का प्रयास किया लेकिन वजन अधिक होने से चैन पुलिंग मशीन से खींचकर बाहर लाना शुरू किया गया। 48 फीट पर फंसा तन्मय करीब 12 फीट ऊपर 36 फीट तक पहुंचा ही था कि रस्सी की गांठ उसके हाथ से फिसल गई। इससे पूरा बचाव दल निराश हो गया और कुछ ही पल में तन्मय के बाहर आने की उम्मीद की रोशनी बुझ गई। बचाव दल ने पूरा जोर तेजी से खोदाई करने में लगा दिया।

सेना की मदद लेने से परहेज क्यों किया

चार दिन तक खोदाई के बाद तन्मय को मृत अवस्था में बाहर निकाला जा सका। इतना अधिक वक्त बचाव कार्य में लगने से एक सवाल यह भी उठ रहा है कि 24 घंटे बाद ही महसूस हो गया था कि लंबा वक्त लगेगा, तब सेना की मदद क्यों नही ली गई। हालांकि जिले के प्रभारी मंत्री इंदर सिंह परमार ने स्पष्ट किया है कि एनडीईआरएफ एसडीईआरएफ की टीम जो भी फीडबैक या आवश्यकता प्रशासन को बताती रही, उसे पूरा किया गया। इसके बाद भी लोगों का यह मानना है कि सेना होती तो बचाव अभियान में चार दिन नहीं लगते और शायद मासूम की जान भी बच जाती।

प्रशासनिक अमले का जज्बा दिखा

तन्मय के बोरवेल में गिरने की सूचना मिलने के एक से डेढ़ घंटे बाद ही कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, तहसीलदार सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। पूरी रात, दूसरे दिन भर अफसर मौके पर ही डटे रहे। कुछ देर के लिए आठनेर के रेस्ट हाउस जाने के बाद फिर मौके पर लौटकर आ जाते थे। कड़ाके की ठंड में बचाव दल का हौसला बढ़ाने के लिए रात भर अफसर भी डटे रहे। शुक्रवार को तो कलेक्टर सुरंग के मुहाने तक हेलमेट लगाकर पहुंच गए थे। रात में भी वे नीचे उतरकर बचाव दल के पास पहुंचे थे।

देर होने से तन्मय को खो दिया

तन्मय के चाचा राजेश को उसके जाने का बेहद अफसोस है। राजेश का कहना है कि बचाव दल ने बहुत मेहनत की, पर देर होने से हम उसे जिंदा नहीं देख पाए।

सीने में जकड़न और पसली में चोट पाई

अपर कलेक्टर श्यामेंद्र जायसवाल ने बताया कि पांच डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया है। इसमें पसली में चोट और सीने में जकड़न की बात सामने आई है। विस्तृत पीएम रिपोर्ट मिलने के बाद स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।

ताप्ती घाट पर किया अंतिम संस्कार

जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम कराने के बाद मासूम तन्मय का शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। इसके बाद ताप्ती घाट के मोक्षधाम में उसका अंतिम संस्कार किया गया।