छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग को वनों का द्वीप कहा जाता है, यहां बेशकीमती लकड़ियां बहुत अधिक मात्रा में मिलती है, लेकिन पिछले 20 दिनों से वन कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से लगातार इमारती लकड़ियों की कटाई और अवैध परिवहन जोरों पर है। वन तस्कर इस कदर सक्रिय हो गए हैं कि आए दिन बस्तर संभाग के फॉरेस्ट रेंज में अवैध कटाई की शिकायत मिल रही है। बीजापुर, सुकमा और बस्तर में वन तस्कर सक्रिय हो गए हैं और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर इमारती लकड़ियों की तस्करी कर रहे हैं। इधर अब वन कर्मचारियों के साथ-साथ फॉरेस्ट रेंजर भी हड़ताल में बैठ गए हैं 

इधर हड़ताल पर बैठे वन कर्मचारियों का कहना है कि पिछले 20 दिनों से वे लगातार हड़ताल पर बैठे हुए हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से उनके आंदोलन को लेकर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है। वन कर्मियों ने ठान लिया है कि जब तक मांग पूरी नहीं होती वे हड़ताल पर डटे रहेंगे, वही फॉरेस्ट रेंजर भी वन कर्मचारियों के 11 सूत्रीय मांग के समर्थन पर उनके साथ हड़ताल पर बैठ गए हैं।इसी की वजह से वन तस्करों सक्रिय हैं और आसानी से लाखों रुपए की इमारती लकड़ी बेच रहे हैं। साथ ही ग्रामीण महुआ बिनने के नाम से जंगलों में आग लगा रहे हैं। बस्तर में वनों की सुरक्षा के लिए पुलिस और होमगार्ड की मदद ली जाएगी और इसके लिए बस्तर के आईजी को मदद के लिए पत्र भी उनके द्वारा भेजा जा रहा है