प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से लड़ाई को प्राथमिकता देने की भी मांग
अस्ताना। आतंकवाद को किसी भी रूप में सही नहीं ठहराया जा और अंतरराष्ट्रीय जगत को आतंकवाद को पोषित करने वाले देशों को अलग-थलग कर देना चाहिए। कजाखस्तान की अध्यक्षता में अस्ताना में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में पीएम मोदी की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये बात कही। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से लड़ाई को प्राथमिकता देने की भी मांग की और कहा कि एससीओ का यही लक्ष्य होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, 'शंघाई सहयोग संगठन एक सिद्धांत आधारित संगठन है, इसके सदस्य देशों की आपसी सहमति से चलता है। इस बार ध्यान देने वाली बात है कि सभी सदस्य देशों ने एक दूसरे देशों की संप्रभुता, आजादी और क्षेत्रीय एकरूपता, समानता का सम्मान करेंगे। साथ ही एक दूसरे के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देने पर जोर दिया गया है।' प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से लड़ाई को प्राथमिकता देने की भी मांग की और कहा कि एससीओ का यही लक्ष्य होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आतकंवाद की समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह वैश्विक और क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। सीमापार आतंकवाद, आतंकवाद को वित्तपोषण और नए लोगों की भर्ती के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन देशों को बेनकाब करना चाहिए, जो आतंकवाद का पोषण करते हैं और आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह बने हुए हैं। युवाओं में कट्टरपंथ फैलने से रोकने के लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए। माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा है क्योंकि पाकिस्तान की तरफ से लगातार सीमापार से आतंकियों को भारत भेजा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में जलवायु परिवर्तन को लेकर भी चिंता जाहिर की और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में काम करने की जरूरत बताई। भारत साल 2017 में कजाखस्तान की अध्यक्षता के दौरान ही एससीओ का सदस्य बना था। पीएम मोदी ने उसे याद करते हुए कहा कि भारत अब एससीओ सम्मेलन की अध्यक्षता भी कर चुका है। उन्होंने कहा कि एससीओ का हमारी विदेश नीति में अहम स्थान है। एससीओ सम्मेलन में शामिल होने के लिए पीएम मोदी ने ईरान को बधाई दी। साथ ही बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको का भी नए एससीओ सदस्य के रूप में स्वागत किया। बता दें कि एससीओ सम्मेलन की 24वीं बैठक अस्ताना में हो रही है। भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर इस बैठक में शामिल हुए।