नई दिल्ली। जब से भारत की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा होने की खबर सामने आई है, इस बात के आकलन किए जा रहे हैं कि यह विशाल आबादी देश के लिए अभिशाप साबित होगी, या वरदान। वहीं जनसंख्या विशेषज्ञों का आकलन है की भारत में केवल गरीब, बेरोजगार और भूखमरी के शिकार लोगों ने ही ज्यादा बच्चे पैदा किए हैं। लगभग एक चौथाई आबादी के 15 से 25 वर्ष के आयु वर्ग में होने के आधार पर माना जा रहा है कि यह विशाल कामकाजी आबादी भारत के लिए वरदान साबित होगी जिससे अर्थव्यवस्था ऊंची उड़ान भरने में सफल रहेगी। इस मामले में चीन का उदाहरण दिया जा रहा है जिसने अपनी विशाल आबादी का उपयोग कर स्वयं को अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शामिल कर लिया।
हालांकि, जनसंख्या विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के संदर्भ में मामला इतना भी सीधा नहीं है। चीन ने जिस दौर में अपनी विशाल आबादी को अर्थव्यवस्था का आधार बनाया, तब उसके सामने आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीकी का खतरा नहीं था, जो एक झटके में विश्व के सभी हिस्सों में नौकरियों के खत्म होने का खतरा पैदा कर रहा था। उसने अपनी विशाल आबादी को घरेलू उपयोग के छोटे-छोटे पदार्थों के उत्पादन में लगाया जो उसकी ताकत बने। चीन की भारी पूंजी और राष्ट्र समर्थित उत्पादन नीति अपनाने के कारण उसने भारी उत्पादन कर अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर कम कीमत पर उपलब्ध कराया। इससे चीन पूरी दुनिया पर छा गया और विश्व की बड़ी ताकत बन गया। लेकिन भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में उस तरह की कठोर नीतियों को बनाना, उनको लागू करना और व्यापारियों को उस स्तर पर आर्थिक सहयोग दिया जाना संभव नहीं है। ऐसे में भारत के संदर्भ में चीन का मॉडल सफल नहीं हो सकता।
जनसंख्या मामलों के विशेषज्ञ मनु गौर ने मीडिया से कहा कि भारत के संदर्भ में बड़ी समस्या है कि हमारे यहां केवल तकनीकी दक्ष युवाओं का ही पलायन नहीं हो रहा है, बल्कि हमारी पूंजी का भी पलायन हो रहा है। कोरोना काल से अब तक 10 लाख से ज्यादा लोगों ने देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता लेने की तलाश की है। विदेशों में बसने की इच्छा पाले ये लोग देश के तकनीकी तौर पर सबसे सक्षम और आर्थिक तौर पर सबसे ताकतवर वर्ग से होंगे, यह माना जा सकता है। ऐसे एक-एक नागरिकों के पलायन से भारत की विशाल पूंजी का विदेशों को पलायन हो रहा है। यदि ऐसे नागरिक देश में पूंजी लगाते तो इससे रोजगार के अवसर पैदा होते, लेकिन उनके विदेश जाने से यह अवसर हमेशा के लिए समाप्त हो रहा है।
विशाल आबादी किसी देश के लिए तभी वरदान बन सकती है जब उसके पास पर्याप्त तकनीकी और आर्थिक संसाधन उपलब्ध हों। जैसे चीन ने इस अवसर का लाभ उठाया है। इस वर्ग में  अमेरिकी देशों का भी उदाहरण दिया जा सकता है। लेकिन यदि किसी देश के पास बेहतर तकनीकी और आर्थिक संसाधन न हों तो विशाल आबादी उसके लिए समस्या बनती है। इस संदर्भ में अफ्रीकी देशों का उदाहरण दिया जा सकता है। ध्यान रखने की बात है कि अमीर वर्ग बच्चे पैदा करने के लिए उत्सुक नहीं रहता जो अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर उन्हें योग्य नागरिक और आर्थिक तौर पर सफल व्यक्ति बनाने में सफल रहता है। ज्यादा बच्चे गरीब वर्ग के लोग ही पैदा करते हैं जो बेहतर अवसर न दे पाने के कारण गरीब-बेरोजगार नागरिकों का निर्माण करते हैं। ऐसे में सफल-सक्षम वर्ग की आबादी बाहर जाने से देश में गरीब वर्ग के लोगों की ही संख्या बढ़ेगी जो बेकारी और गरीबी को बढ़ाने में सहायक होगी। लेकिन चूंकि, इसी के साथ-साथ पूंजी का विदेशों को पलायन बढ़ रहा है, लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध नहीं होंगे और बेकारी बढ़ेगी। इस तरह भारत में अमीरों की आबादी में नहीं, बल्कि गरीब और बेरोजगार वर्ग के लोगों की संख्या में वृद्धि होगी।