कोलकाता । वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की एकता की कोशिशों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि अगर कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम-एम) के साथ बंगाल में गठबंधन किया तो उसे फिर टीएमसी से किसी तरह की मदद मिलने की उम्मीद नहीं पालनी चाहिए। पटना में 23 जून को विपक्ष की एकता के लिए एक बड़ी बैठक से पहले ममता बनर्जी के इस बयान ने अब विपक्ष को एकजुट करने में लगे नीतीश कुमार के सामने एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। काकद्वीप में एक जनसभा में ममता बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस का कई राज्यों में शासन है, सीपीएम बंगाल में उनकी सबसे बड़ी सहयोगी है। वे भाजपा के बड़े सहयोगी हैं और वे संसद में हमारी मदद चाहते हैं। हम अभी भी बीजेपी का विरोध करने के लिए ऐसा करेंगे लेकिन याद रखें, बंगाल में अगर आप सीपीएम के साथ गठबंधन में हैं, तो लोकसभा चुनाव में हमारी मदद लेने न आएं। ममता बनर्जी के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं के साथ 2024 से पहले भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने के लिए एक हफ्ते बाद मिलने की उम्मीद है। हालांकि ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस-सीपीएम समझौते के कारण इस तरह का गठबंधन बंगाल में काम नहीं कर सकता है। 
कांग्रेस और सीपीएम के गठबंधन पर ममता का ये बयान बंगाल में पंचायत चुनावों में त्रिकोणीय मुकाबले को देखते हुए आया है, जिसमें कांग्रेस और सीपीएम एक साथ तृणमूल और भाजपा के खिलाफ गठबंधन में लड़ रहे हैं। सीपीएम ने 48,646 और कांग्रेस ने 17,750 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। एक साथ में सीपीएम-कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा की तुलना में अधिक उम्मीदवार उतारे हैं, जिसने 56,321 उम्मीदवार उतारे हैं। गौरतलब है कि वाम-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में बायरन बिस्वास की सागरदिघी उपचुनाव में जीत और बाद में तृणमूल में उनके दलबदल ने भी ममता के कांगेस पार्टी के साथ संबंधों में दरार पैदा कर दी है।