पिछले माह 15 मार्च को सूर्य नारायण के मीन राशि में प्रवेश करते ही मलमास प्रारंभ हो गया था,  सूर्य नारायण 14 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 58 मिनट पर मेष राशि में प्रवेश करेंगे  तो मलमास समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्य पुन: प्रारंभ हो सकेंगे।
मार्च में होलाष्टक और मलमास प्रारंभ होते ही विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई आदि जैसे मांगलिक कार्यों पर एक माह के लिए प्रतिबंध लग गया था।  सूर्य नारायण एक राशि में 30 दिन तक भ्रमण करते है, इस प्रकार 12 माह अर्थात् एक वर्ष में सूर्य 12 राशियों का एक चक्र पूरा कर लेते है, भ्रमण करते हुए सूर्य जब बृहस्पति की राशि धनु में आते है तो उसे धनुर्मास और मलमास कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र और मुहूर्त शास्त्र के अनुसार प्रत्येक शुभ कार्य में बृहस्पति की उपस्थिति होना अनिवार्य है। सूर्य जब भी किसी ग्रह की राशि में जाते है, तो उसे अस्त के समान कर देते है, मांगलिक कार्यों की आहट होते ही शहर के कपड़ा मार्केट, बर्तन बाजार, सराफा बाजार, मारोठिया में लग्नसारा की खरीदारी शुरू हो गई है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में खरीददार शहर के बाजारों में आ रहे है। वैवाहिक आयोजन के लिए गार्डन, धर्मशालाएं बुक हो चुकी है। कुछ पंचांगों में गुरु तारा पश्चिम दिशा में अस्त होने के कारण मांगलिक कार्य और विवाह समारोह 30 अप्रैल को सुबह 7.30 बजे पूर्व दिशा में गुरु उदय होने के बाद प्रारंभ होना बताया गया है।


अक्षय तृतीया पर गूंजेगी शहनाइयां
अक्षय तृतीया 22 अप्रैल शनिवार को है, इसे आखातीज के नाम से भी जानते हैं, शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया का मांगलिक कार्य के लिए बहुत शुभ माना जाता है, इस दिन शादियां और नए कार्य की शुरुआत करने से उसमें सफलता मिलती है, ये दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है, इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा और खासतौर पर आभूषणों की खरीद की जाती है।