मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आज जन्मदिन है जिन्हें जगत मामा के रूप में पुकारा जाने लगा है। मगर यह उपाधि उन्हें कब मिली कैसे मिली, यह आज हम आपको बता रहे हैं।

जब शिवराज सिंह सामान्य नेता थे और कुछ समय बाद जब पहली बार विधायक बने तो गृह गांव जैत के पास बोरना गांव का एक गरीब उनके पास बेटी की शादी का निमंत्रण लेकर पहुंचा। वह बोला अब तो आप एमएलए बन गए तो शादी में मदद करो तो उस समय मित्रों के साथ मिलकर गरीब की बेटी की शादी कराई थी। तब उन्होंने ऐसी गरीब बेटियों की शादी का संकल्प लिया और 1991 से यह सिलसिला शुरू हुआ जिसकी वजह से वे आज जगत मामा के रूप में पहचाने जा रहे हैं।

यह बात उनके विद्यार्थी जीवन से साथ निभा रहे शिव चौबे ने बताई है। मध्य प्रदेश सामान्य निर्धन वर्ग आयोग के अध्यक्ष चौबे ने बताया कि बोरना गांव के गरीब पिता ने शिवराज सिंह चौहान से शादी में जिस तरह आर्थिक मदद मांगी थी, उससे उनके मन में ऐसे परिवारों की बेटियों के लिए सामूहिक विवाह की योजना जागी थी। विधायक, सांसद रहते हुए शिवराज सिंह चौहान ने सामूहिक विवाहों के आयोजन 1991 के बाद लगातार किए। पहले जैत में किया तो फिर शाहगंज, सुल्तानपुर, उदयपुरा में ये आयोजन हुए।

सीएम बनते ही मन की इच्छा योजना में बदली

चौबे ने कहा कि गरीबों के दर्द का अहसास शिवराज के मन में हमेशा रहा है और सामूहिक विवाह के आयोजनों से उन्होंने उनके दर्द को बांटने की कोशिश की। शिवराज सिंह चौहान जैसे ही सीएम बने तो उन्होंने सबसे पहली योजना सामूहिक विवाह के लिए लाए। चौबे बताते हैं कि आज तक शिवराज सिंह करीब ढाई लाख गरीब बेटियों की सामूहिक विवाह में शादी करा चुके हैं। उनके बेटियों के प्रति प्यार से वे कब सबके मामा बन गए पता ही नहीं चला।

उत्तर प्रदेश में चंदौली में पुकारा जगत मामा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी चंदौली विधानसभा की चुनावी सभा में मंच से उन्हें जगत मामा बताया गया। स्थानीय सांसद महेंद्र नाथ पांडे ने सीएम चौहान का परिचय देने के लिए उनसे माइक लेकर कहा कि यह केवल मध्य प्रदेश के बेटे- बेटियों के नहीं पूरे देश के बेटे- बेटियों के मामा हैं। उन्होंने शिवराज मामा जिंदाबाद के नारे लगवाकर माइक चौहान को सौंपा। यानि अब वे मध्य प्रदेश के बच्चों के ही नहीं बल्कि जगत मामा बन चुके हैं।