124 साल पहले बतौर सामाजिक संगठन शुरू हुई थी लेबर पार्टी
ब्रिटेन में आज आम चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। इसमें 650 सीटों वाली ब्रिटिश संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) में विपक्षी लेबर पार्टी ने 400 से ज्यादा सीटों के साथ प्रचंड जीत दर्ज की है। वहीं प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। इस तरह से ब्रिटेन की सियासत में बड़ा बदलाव हुआ है। ब्रिटेन के लोग 14 साल बाद कीर स्टार्मर को नए प्रधानमंत्री के रुप में देखेंगे। वहीं कंजर्वेटिव प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का 18 महीने का कार्यकाल अब समाप्त हो गया।4 जुलाई 2024 को ब्रिटेन में 650 संसदीय सीटों के लिए मतदान हुआ। ये चुनाव यूनाइटेड किंगडम के सभी हिस्सों इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में हुए। 5 जुलाई को ब्रिटेन चुनाव के नतीजे घोषित किए जा रहे हैं। इन चुनावों में कुल 392 पंजीकृत पार्टियां रहीं लेकिन मुख्य मुकाबला ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव और मुख्य विपक्षी नेता कीर स्टार्मर की लेबर पार्टी के बीच हुआ।अब तक 650 में से 648 सीटों के नतीजे घोषित हो गए हैं। पार्टीवार नतीजे देखें तो विपक्षी लेबर पार्टी ने 412 सीटें जीत ली हैं। वहीं मौजूदा सत्ताधारी दल कंजर्वेटिव महज 121 सीटें जीती है। बाकी पर अन्य छोटे दलों के उम्मीदवार विजयी हुए हैं।
आखिर लेबर पार्टी का इतिहास क्या है?
जिस लेबर पार्टी ने ब्रिटेन के चुनाव में जीत दर्ज की है उसका इतिहास 124 साल पुराना है। लेबर पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, इसकी स्थापना साल 1900 में हुई थी। इसका गठन कामकाजी लोगों को आवाज देने के लिए किया गया था। मजदूर वर्ग के लोगों, ट्रेड यूनियनवादियों और समाजवादियों के कई वर्षों के संघर्ष के नतीजे के रूप में यह पार्टी बनी। पार्टी की स्थापना करने वाले कीर हार्डी हैं। इस दल का लक्ष्य ब्रिटिश संसद में मजदूर वर्ग की आवाज का प्रतिनिधित्व करना था। यही वह लक्ष्य था जिसने कीर हार्डी और उनके सहयोगियों को एकजुट किया। फरवरी 1900 में लंदन के मेमोरियल हॉल में पार्टी की शुरुआत हुई।
शुरुआती साल वर्ष और सत्ता तक का सफर
सामाजिक संगठन के रूप में शुरू हुई पार्टी का धीरे-धीरे विकास हुआ। 1906 में इसने अपना पहला चुनाव लड़ा जिसमें 26 सांसद चुने गए। इसके साथ उन्होंने लेबर को अपना आधिकारिक नाम चुना। पार्टी का सफर यूं ही जारी रहा और आने वाले वर्षों में और अधिक सांसद चुने गए। 1923 के ब्रिटिश चुनाव तक लेबर पार्टी सत्ता के लिए चुनौती पेश करने के लिए अच्छी स्थिति में आ गई। यह वह चुनाव था जिसमें ब्रिटेन के इतिहास में पहली लेबर सरकार बनी और रामसे मैकडोनाल्ड पार्टी के पहले प्रधानमंत्री बने।पहली लेबर सरकार बहुत कम समय तक सत्ता में रही। पार्टी के अनुसार, बहुमत न होने के बावजूद इसने आवास, शिक्षा और सामाजिक बीमा में सुधार के साथ-साथ बेरोजगारी को दूर करने के लिए कानून पारित किए। 1924 की सरकार सिर्फ कुछ महीनों तक चली, पांच साल बाद दूसरी सरकार के चुनाव हुए। 1931 के चुनाव में केवल 52 लेबर सांसद चुने गए।