मुंबई । पश्चिम बंगाल की हिरण्मय एनर्जी, जिसे इस साल जनवरी में दिवालिया के लिए मंजूरी मिली थी, कंपनी को उम्मीद है कि समाधान प्रक्रिया जल्द शुरू किए जाने के लिए कुछ लेनदारों के बीच शुरुआती मतभेद दूर हो जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि हिरण्मय एनर्जी लिमिटेड (एचईएल) के ऋणदाता अगले कुछ सप्ताह के दौरान संकटग्रस्त थर्मल पावर कंपनी के लिए बोलियां आमंत्रित कर सकते हैं। 
सरकारी स्वामित्व वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी आरईसी लिमिटेड की याचिका पर कंपनी को दिवालिया के लिए मंजूर किया गया था। कंपनी का कुल कर्ज 2,000 करोड़ रुपये है। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील पंचाट (एनसीएलएटी) ने मार्च में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें आरईसी को हिरण्मय एनर्जी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने से रोकने की मांग की गई थी।
हिरण्मय परियोजना के वित्तीय ऋणदाताओं ने कहा कि बीएचईएल को समाधान प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करने के लिए कहने से, उन्हें उम्मीद है कि वे जल्द ही बोलियां आमंत्रित कर सकेंगे। एक अधिकारी ने कहा, ‘अब स्थिति साफ होने से हमें बोली प्रक्रिया जल्द ही दोबारा शुरू होने की उम्मीद है। बीएचईएल का बकाया दिवाला प्रक्रिया का हिस्सा माना जाएगा।’
सरकार के स्वामित्व वाली दिग्गज विनिर्माता बीएचईएल ने मध्यस्थता के फैसले से मिलने वाले अपने लंबित बकाया का हवाला देते हुए दिवाला प्रक्रिया रोकने के लिए याचिका दायर की थी। कंपनी ने कहा कि अपने लंबित भुगतान की वसूली के लिए बीएचईएल के मध्यस्थता मामले में हार के मद्देनजर बीएचईएल करीब 380 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।