हिना रब्बानी खार का सीक्रेट मेमो लीक
पाकिस्तान, पाकिस्तान आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. कर्ज पाने की कोशिशें कर रहे पाकिस्तान को अपने सहयोगी देशों से भी अब तक निराशा ही हाथ लगी है. पाकिस्तान को कर्ज तो मिल नहीं रहा, अब विदेश नीति को लेकर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार के बीच हुई चर्चा का एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड लीक हो गया है.
हिना रब्बानी खार के जिस सीक्रेट मेमो के महत्वपूर्ण अंश लीक हुए हैं, उसका शीर्षक 'पाकिस्तान के मुश्किल विकल्प' है. इस सीक्रेट मेमो के महत्वपूर्ण अंश से संबंधित अमेरिकी खुफिया दस्तावेज डिसकॉर्ड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर लीक हो गए हैं. इस सीक्रेट मेमो में चीन का भी जिक्र है. इसमें हिना रब्बानी खार ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को अमेरिका और पश्चिम को खुश करने की कोशिशों से बचना चाहिए.
इस इंटरनल सीक्रेट मेमो में हिना रब्बानी खार ने साफ कहा है कि पाकिस्तान अब पड़ोसी चीन और अमेरिका को लेकर बीच का रास्ता अपनाने की कोशिश नहीं कर सकता. हिना ने कहा है कि पाकिस्तान अगर अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत करने की कोशिश करता है तो उसे चीन के साथ संबंधों का त्याग करना पड़ेगा जिसके साथ उसकी वास्तविक रणनीतिक भागीदारी है.
हालांकि, ये रिपोर्ट कब की है, इसका जिक्र नहीं किया गया है. पाकिस्तानी विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार के सीक्रेट मेमो तक अमेरिका की पहुंच को लेकर भी किसी तरह की जानकारी सामने नहीं आई है. लीक हुए इन दस्तावेजों को लेकर पाकिस्तान या उन अधिकारियों की तरफ से किसी भी तरह का कोई बयान नहीं आया है जिनका जिक्र इस रिपोर्ट में है.
लीक हुए पाकिस्तान से संबंधित 17 फरवरी के एक अन्य दस्तावेज में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की एक अधीनस्थ के साथ यूक्रेन युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र में मतदान पर चर्चा का जिक्र है. इस दस्तावेज के मुताबिक अधीनस्थ ने शरीफ को संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करना पाकिस्तान की स्थिति में बदलाव का संकेत देगा. इससे रूस के साथ ट्रेड और ऊर्जा की डील को लेकर बातचीत पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन युद्ध को लेकर प्रस्ताव पर 23 फरवरी को मतदान हुआ था. पाकिस्तान भी उन 32 देशों में से एक था जिन्होंने 23 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन मुद्दे पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. ये रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब अमेरिका पहले ही कह चुका है कि उसे पाकिस्तान के रूस से तेल आयात करने के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है.