भोपाल   राजनीति में परिवारवाद आज से नहीं पुराना रोग है। मध्य प्रदेश में यह रोग कांग्रेस ही नहीं भाजपा में भी रहा है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सख्त फार्मूले के बाद आने वाली पीढ़ी के लिए राजनीति में काफी मुश्किल सफर होने वाला है। एमपी में इस परिवारवाद का लाभ जिन लोगों को मिला है उनकी लंबी सूची है जिसमें सिंधिया-कमलनाथ-दिग्विजय ही नहीं सुंदरलाल पटवा-कैलाश जोशी-वीरेंद्र कुमार सकलेचा तक के नाम शामिल हैं। राजनीति में परिवार का रोग आज नहीं है बल्कि यह वह बीमारी है जो कभी भी जड़ से खत्म नहीं हुई है। गांधी-नेहरू परिवार के परिवारवाद को भाजपा कांग्रेस को घेरती रहती है लेकिन उसके नेता भी इसके घेरे में हैं। जनसंघ और भाजपा की संस्थापक विजयाराजे सिंधिया से शुरू करें तो उनके बेटे माधवराव सिंधिया सहित दोनों बेटियों वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे राजनीति में उतरीं। माधवराव सिंधिया के बाद उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और अब उनके बेटे महाआर्यमन भी राजनीति के द्वार पर खड़े होने वाले हैं। महाआर्यमन के राजनीति में आने पर सिंधिया परिवार की चौथी पीढ़ी होगी जो राजनीतिक जीवन को अपनाएंगे। यह परिवार अकेले जनसंघ या भाजपा नहीं कांग्रेस में भी रहा और माधवराव-ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ने वहां केंद्रीय मंत्री पद पर भी काम किया। 

ज्यादातर सीएम ने परिवार को राजनीतिक विरासत सौंपी

मध्य प्रदेश के ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने पुत्रों या नजदीकी लोगों को सौंपने के लिए उन्हें राजनीति में लाए। इसकी शुरुआत पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल से ही शुरू हो गई थी। उनके दोनों पुत्र श्यामाचरण शुक्ल और विद्याचरण शुक्ल ने अंतिम समय तक राजनीति को नहीं छोड़ा। द्वारिकाप्रसाद मिश्र की सरकार गिरने पर सीएम बने गोविंद नारायण सिंह के पुत्र ध्रुवनारायण सिंह भाजपा की ओर से एमएलए रहे और भोपाल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे। इनके अलावा मुख्यमंत्री रहे कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी शिवराज सरकार में मंत्री बने तो पूर्व सीएम वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बेटे ओमप्रकाश सकलेचा इस समय शिवराज सरकार के मंत्री हैं। सुंदरलाल पटवा परिवार के सुरेंद्र पटवा को शिवराज सरकार ने पूर्व कार्यकाल में मंत्री बनाया था। यहीं नहीं भाजपा सरकार में सीएम रहे बाबूलाल गौर की पुत्रवधु को राजनीति में उतरते ही महापौर बनने का मौका मिला तो गौर का टिकट कटने पर उन्हें एमएलए के लिए टिकट भी आसानी से मिल गया ता। वहीं, कांग्रेस सरकार में सीएम रहे अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे तो शिवराज की सरकार बनने पर वे नेता प्रतिपक्ष भी रहे। पूर्व सीएम मोतीलाल वोरा के पुत्र अरुण वोरा छत्तीसगढ़ में विधायक बने तो कमलनाथ सरकार में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्द्धन सिंह को मंत्री बनाया गया था।

परिवारवाद का इनको फायदा मिला

पंडित रविशंकर शुक्ल- श्यामाचरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल
गोविंद नारायण सिंह- ध्रुवनारायण सिंह
वीरेंद्र कुमार सकलेचा- ओमप्रकाश सकलेचा
कैलाश जोशी- दीपक जोशी
सुंदरलाल पटवा- सुरेंद्र पटवा
अर्जुन सिंह- अजय सिंह
दिग्विजय सिंह- जयवर्द्धन सिंह
कमलनाथ- नकुलनाथ
बाबूलाल गौर- कृष्णा गौर
सुभाष यादव- अरुण यादव, सचिन यादव
जमुनादेवी- उमंग सिंगार
कांतिलाल भूरिया- विक्रांत भूरिया
विक्रम वर्मा- नीना वर्मा
कैलाश विजयवर्गीय- आकाश विजयवर्गीय
सत्यदेव कटारे- हेमंत कटारे
श्रीनिवास तिवारी- सुंदरलाल तिवारी, बबला
बृजेंद्र सिंह राठौर- नृतेंद्र सिंह


दहलीज पर खड़े नेता पुत्र

शिवराज सिंह चौहान- कार्तिकेय सिंह
सुमित्रा महाजन- मंदार
नरेंद्र सिंह तोमर- देवेंद्र सिंह तोमर
नंदकुमार सिंह चौहान- हर्षर्द्धन सिंह
नरोत्तम मिश्रा- सुकर्ण मिश्रा
प्रभात झा- तुषमल
गोपाल भार्गव- अभिषेक 
गौरीशंकर बिसेन- मौसम
गौरीशंकर शेजवार- मुदित
जयंत मलैया- सिद्धार्थ
डॉ. गोविंद सिंह- राहुल
सत्यव्रत चतुर्वेदी- नितिन चतुर्वेदी