मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डियों को प्रभावित कर रहा खतरनाक वायरस
यॉर्कशायर। इंग्लैंड में टिक-जनित (कीड़ा जनित) एन्सेफलाइटिस वायरस के 3 गंभीर मामले सामने आए हैं। इन तीनों मामलों की पुष्टि की गई है। मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डियों को प्रभावित करने में खतरनाक वायरस का हाथ है। हैम्पशायर, डोरसेट, नॉरफ़ॉक और सफ़ोक सीमा क्षेत्रों में भी पता चला है। लेकिन यह भी हो सकता है कि यह वायरस कहीं और मौजूद रहा हो। क्योंकि वायरस फैलाने वाली टिक प्रजातियां यूके में कई जगह पायी जाती हैं। टिक-जनित एन्सेफलाइटिस संक्रमण एक वायरस के कारण होता है जो फ्लेविविरिडे परिवार का सदस्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टिक-जनित एन्सेफलाइटिस के लगभग 10,000-12,000 क्लिनिकल मामले हर साल पूर्वी, मध्य, उत्तरी और पश्चिमी देशों में रिपोर्ट किए जाते हैं। यह वायरस टिक्स द्वारा ले जाया जाता है और हल्की फ्लू जैसी बीमारी, मेनिनजाइटिस, या सेंट्रल नर्वस सिस्टम में गंभीर संक्रमण जैसी बीमारियों का कारण बनता है।
वायरस के कारण असिम्पटोमैटिक संक्रमण भी हो सकता है। वायरल संक्रमण के लक्षण तेज बुखार के साथ सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, भ्रम या कम होश होना है। लक्षण मेनिनजाइटिस के समान हैं। एक बीमारी जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डियों को प्रभावित करती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार गंभीर सिरदर्द, गर्दन में अकड़न जैसे लक्षणों का अनुभव होने पर डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। तेज रोशनी को देखते समय दर्द भी इस बीमारी का एक लक्षण है। न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं जैसे मिर्गी का दौरा, अचानक भ्रम या व्यवहार में बदलाव, कमजोरी, चेहरे का झुकाव और दृष्टि में परिवर्तन या अस्पष्ट भाषण भी टिक रोग के संकेतक हैं। इससे बचने के लिए लंबी पतलून और बंद जूते जैसे उचित कपड़े पहनकर टिक के संक्रमण से बचा जा सकता है। किसी को भी अपाश्चुरीकृत डेयरी उत्पादों का सेवन करने से बचना चाहिए।