खतरनाक बैक्टीरिया बड़ा खतरा बन सकते हैं इंसानों के लिए
वॉशिंग्टन । अमेरिकी तटों पर मांस खाने वाले माइक्रोब्स फैल रहे हैं। गर्म होते सागर तटीय जल में, मांस खाने वाले बैक्टीरिया का प्रसार कर रहे हैं। ये खतरनाक बैक्टीरिया इंसानों के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। यह कहना है अमेरिका में अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों का। उनका कहना है कि हर दिन के साथ पृथ्वी का वातावरण और महासागर गर्म हो रहे हैं, जिससे ग्रह पर हर तरफ तेजी से बदलाव देखे जा रहे हैं।
हम अब यह जानते भी हैं कि ये सब क्यों हो रहा है। ये नतीजा है मानवजनित जलवायु परिवर्तन का। हमारा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अब अलग-अलग तरीकों से हमें डरा रहा है। जैसे- शक्तिशाली तूफान, हीट वेव्स और मौसम से जुड़ी बड़ी घटनाएं। लेकिन जलवायु परिवर्तन के सभी परिणाम इतनी जल्दी नजर नहीं आते। शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हाल ही में एक शोध किया है, जिसके मुताबिक, समुद्र के गर्म होने का एक और प्रभाव होता है जिसके बारे में लोग कम जानते हैं। इसकी वजह से तटीय जल में मांस खाने वाले बैक्टीरिया का प्रसार होता है। जहां वे अच्छे मौसम में भी लोगों को को खतरनाक रूप से बीमार कर सकते हैं। शोध में विब्रियो वुल्निफिशस बैक्टीरिया के बारे में बताया गया है जो मनुष्यों को संक्रमित करता है। ऐसा तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति कच्चा या अधपका समुद्री भोजन खाता है, खासकर सीप। लेकिन यह खुले घाव के संपर्क में आने पर जानलेवा बैक्टीरियल इनफेक्शन नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस भी फैलाता है।
शोध के मुताबिक, मेक्सिको की खाड़ी में तटीय जल और जॉर्जिया और फ्लोरिडा के अटलांटिक तटों पर वी। वल्निफिशस का खतरा बढ़ रहा है। जबकि उत्तर में ये फल-फूल रहा है। शोध के मुताबिक, पिछले 30 सालों में, अमेरिका के पूर्वी तट पर वी वुल्नीफीकस के संक्रमणों की संख्या हर साल 10 से बढ़कर 80 हो गई है। 2100 तक, हर साल इस संख्या के 200 तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि वी वुल्नीफीकस संक्रमण कुछ ही दशकों में, न्यूयॉर्क को प्रभावित कर सकता है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि आने वाले समय में, यानी 2080 के दशक तक यह हर पूर्वी अमेरिकी राज्य को संक्रमित कर सकता है।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, वी वल्निफिशस से संक्रमित घाव वाले पांच में से एक व्यक्ति की मौत हो जाएगी। यह इतना खतरनाक है कि संक्रमित होने के एक या दो दिन के अंदर ही इंसान की जान चली जाएगी। जो लोग बच जाएंगे, उन्हें गहन देखभाल की ज़रूरत होगी या फिर उनके संक्रमित अंग को काट दिया जाएगा। शोध में कहा गया है कि 21वीं सदी के अंत तक, वी.वुल्नीफीकस संक्रमण उत्तर की तरफ और बढ़ जाएगा, लेकिन ये और कितना आगे जाएगा ये वार्मिंग की डिग्री पर निर्भर करेगा।शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके शोध में बताया गया है कि समय के साथ यह बैक्टीरिया अपना स्थान कैसे बदल रहा है। साथ ही, यह भी बताया गया है कि आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन इसके प्रसार को कैसे प्रभावित कर सकता है।