- सर्वोच्च धर्मगुरू शंकराचार्य जी का अपमान नही भूलेगा हिंदुस्तान
- 19 साल पहले कांग्रेस के कहने पर धर्मगुरू पर लगा हत्या का झूठा आरोप
कांग्रेस को जब जब जनता ने सत्ता सौंपी, पार्टी ने धर्मनिपरेक्षता के नाम पर हिंदु धर्मगुरू और हिंदुओं का अपमान ही किया है। 11 नवंबर 2004 को हिंदुओं के सर्वोच्च धर्मगुरू कांची कामकोठी पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती जी को हत्या के झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया, तिथि के अनुसार उस दिन कार्तिक मास कृष्ण चतुर्दशी यानी चौदस थी। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी।
धर्मगुरू शंकराचार्य पर सोची समझी रणनीति के तहत कार्रवाई की गई। तमिलनाडू की मुख्यमंत्री जयललिता के साथ मिलकर सोनिया गांधी द्वारा यह गिरफ्तारी करवाई गई। गिरफ्तारी के बाद पुज्य श्री शंकराचार्य जी पूरे दो महीने जेल में रहे। उन पर दो वर्ष पुरानी एक और घटना के लिए भी वारेंट जारी किया गया। यह सब इसलिए किया गया जिससे कि शंकराचार्य जी जो जमानत भी न मिल सके। 

प्रणव मुखर्जी ने अपनी किताब में किया खुलासा
केंद्र के साथ ही उस समय आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार थी। राज्य के महबूब नगर मे जाकर तामिलनाडू पुलिस ने त्रिकाल पूजा के बीच शंकराचार्य जी को एक षड़यंत्र के तहत गिरफ्तार किया था जो कि सीधे रूप से सनातन पर हमला था। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अपनी पुस्तक द कोलाइजन ईयर्स 1996-2012 में लिखा है कि कैबिनेट की बैठक में मैंने इस मसले को उठाया था, मैने सवाल पूछा था कि क्या देश में धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदूसंत-महात्माओं तक ही सीमित है? क्या किसी राज्य की पुलिस किसी मौलवी को ईद के मौके पर गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखा सकती है? इस सवाल पर सारे कैबिनेट में खामोशी छा गयी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पूज्य शंकराचार्य जी को दस साल के बाद बाद ससम्मान दोष मुक्त किया।