भोपाल ।   मध्य प्रदेश में 2018 में 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी में निमाड़ क्षेत्र ने बड़ी भूमिका निभाई थी। क्षेत्र की 16 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को 10 पर जीत मिली थी। फिर खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन और बड़वानी जिले की इन सीटों पर कांग्रेस की नजर है। इस क्षेत्र में पार्टी 2018 के परिणाम दोहराने की योजना बना रही है। इसके संकेत पिछले सप्ताह पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव की प्रतिमा के अनावरण के बहाने सभी वरिष्ठ नेताओं ने एक मंच पर आकर कार्यकर्ताओं को दे दिए। वहीं, इससे पार्टी में काफी समय से उपेक्षित महसूस कर रहे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को भी ताकत मिली है। अब वे पूरे क्षेत्र में सक्रिय होंगे।

मालवा और निमाड़ क्षेत्र से भाजपा को हमेशा से बढ़त मिलती रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में निमाड़ में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा था। 16 में से दस सीटें कांग्रेस ने जीतीं। इसमें खरगोन और बुरहानपुर में भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। बड़वानी जिले की चार सीटों में से एक बड़वानी ही भाजपा जीत सकी थी। खंडवा में जरूर कांग्रेस का प्रदर्शन निमाड़ क्षेत्र के बाकी तीन जिलों की तुलना में कमजोर रहा था। क्षेत्र में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए कमल नाथ मंत्रिमंडल में बाला बच्चन, डा.विजय लक्ष्मी साधौ और सचिन यादव मंत्री बनाए गए थे। हालांकि, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया था, तब निमाड़ क्षेत्र के विधायक पार्टी के साथ थे, लेकिन कुछ समय बाद खंडवा जिले की मांधाता सीट से विधायक नारायण पटेल और नेपानगर से विधायक सुमित्रा देवी कास्डेकर ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता ले ली। ये दोनों अरुण यादव के समर्थक माने जाते थे।

वहीं, खंडवा लोकसभा उपचुनाव के समय खरगोन जिले की बड़वाह सीट से विधायक सचिन बिरला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि, विधानसभा में अभी भी वे तकनीकी रूप से कांग्रेस विधायक दल का हिस्सा हैं पर किसी भी गतिविधि में भाग नहीं लेते हैं। पार्टी ने निमाड़ क्षेत्र में अपनी स्थिति पिछले चुनाव से और अच्छी करने के लिए स्थानीय नेताओं को बूथ प्रबंधन के काम में लगा दिया है। खरगोन से विधायक रवि जोशी को संगठन दायित्व से मुक्त करके क्षेत्र में सक्रिय किया गया है तो अरुण यादव ने कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, जयप्रकाश अग्रवाल, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया, विवेक तन्खा, डा.गोविंद सिंह सहित प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को एक मंच पर लाकर कार्यकर्ताओं को एकजुटता का संदेश दिया। पार्टी नेताओं ने यह संदेश भी दिया कि यादव अलग-थलग नहीं हैं, उनकी भूमिका वैसी ही है, जैसे पिछले चुनाव में थी। यादव भी अब पूरे क्षेत्र में सक्रिय होने जा रहे हैं। जल्द ही कार्यकर्ता सम्मेलनों की शुरुआत होगी।

भाजपा के पूर्व सांसद कांग्रेस में हो चुके हैं शामिल

निमाड़ क्षेत्र में कांग्रेस की सक्रियता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि खरगोन के बोरावां में सम्मेलन से एक दिन पहले भाजपा के पूर्व सांसद मकन सिंह सोलंकी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। जबकि, उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगाई थी।

इनका कहना है

न‍िमाड़ तो कांग्रेस का गढ़ है। हम समूचे मालवांचल में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस ने 2018 में भी सरकार बनाई थी और 2023 में भी कांग्रेस की ही सरकार बनेगी।

- अरुण यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री