दागदार जांच के बाद हो गए बेदाग

एजेंसियों की कमजोर जांच से बड़े किरदारों पर नहीं आई आंच
भोपाल। मप्र सहित देशभर में इनदिनों राजधानी भोपाल के सबसे चर्चित मामलों में शामिल सौरभ शर्मा कांड चर्चा में है। जब यह मामला सामने आया तो संभावना जताई गई कि इसमें बड़े-बड़े रसूखदार नप जाएंगे। लेकिन लोकायुक्त इस मामले में 60 दिन में चालान पेश नहीं कर पाया और सौरभ शर्मा को जमानत मिल गई। इसी तरह अन्य रसूखदार भी तकरीबन बच निकले हैं। इस तरह का यह प्रदेश का पहला मामला नहीं है, बल्कि व्यापमं, हनी ट्रैप, ई-टेंडरिंग जैसे कई चर्चित मामलों में बड़े किरदार साफ बच निकले हैं। दरअसल, जांच एजेंसियों की कमजोर जांच के कारण बड़े किरदारों पर आंच नहीं आ पाई है और दागदार जांच के बाद बेदाग हो गए।
गौरतलब है कि प्रदेश में कई घोटाले देशभर में चर्चा में रहे और उनसे राजनीति में भी भूचाल आया। इससे पूरा भरोसा लग रहा था, भले देर से ही सही पर घोटालों में शामिल अधिकारी, नेता और अन्य किरदार जांच के घेरे में आएंगे। उन्हें सजा मिलेगी। मामले कोर्ट में पहुंचे पर कहीं केस कमजोर होने तो कहीं साक्ष्य के अभाव में टिक नहीं पाए। कुछ तो जांच के घेरे से ही बच गए। व्यापमं फर्जीवाड़ा मामले में कई बड़े नेताओं के नाम आए। कुछ जेल भी गए, पर कोर्ट से वे बरी हो गए। ऐसी ही स्थित बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले की है। इसमें भी कई अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने आए थे, पर वे जांच की परिधि में ही नहीं आए। ई-टेंडरिंग के मामलें में ईडी ने कार्रवाई की। कमल नाथ सरकार पर कई सवाल उठे। कई जगह छापे पड़े लेकिन किसी का कुछ नहीं बिगड़ा। व्यापमं में पीएमटी और परिवहन आरक्षक भर्ती सहित कई परीक्षाओं में गड़बड़ी हुई थी। इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों से जुड़े कई बड़े नेता, मेडिकल कालेज संचालक आदि के नाम आए थे।
सीबीआई जांच भी नहीं आई काम
व्यापमं फर्जीवाड़े में मप्र स्पेशल टास्क फोर्स के बाद मामले जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली। इस पूरे मामले में मुख्य कड़ी में रहे कई किरदार साफ बच गए। पूर्व विधायक एवं याचिकाकर्ता पारस सखलेचा का कहना है कि व्यापमं मामले में सीबीआई ने पक्षपातपूर्ण कार्यवाही की है। सारे बड़े लोगों को एक-एक कर बचाया जा रहा है। हमने सीबीआई को कुछ मूल बिदुओं पर शिकायत की थी, जिस पर जांच नहीं की। इससे रैकेटियर बच रहे हैं। इसमें निजी मेडिकल कालेज संचालक भी शामिल हैं। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई है, जो लंबित है। 900 पेज की याचिका है, जिसमें मैंने कहा है कि सीबीआई मेरी शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। अगर सीबीआइ को लगता है कि निर्णय सही नहीं हो रहा है तौ वह अपील क्यों नहीं कर रही है।
इन मामलों में भी बच गए रसूखदार
केवल व्यापमं ही नहीं बल्कि कई मामलों की जांच में रसूखदार बच निकले हैं। हनी ट्रैप मामले में कई अधिकारियों का नाम उछला, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। पहली बार 17 सितंबर 2019 में सामने आए हनी ट्रैप मामले में चार आइएएस अधिकारियों की सहित कई बड़े लोगों के नाम आए था। जांच के लिए एसआइटी गठित की गई। एडीजी स्तर के छह अधिकारी अलग-अलग समय में इसके प्रमुख रहे। शुरुआत में तो 15 दिन के भीतर ही तीन एसआइटी चीफ बदल दिए गए। अभी तक जांच के नाम पर एसआइटी की भूमिका कोर्ट के सामने मध्यस्थ जैसी ही रही। यही कारण है कि हनी ट्रैप में घिरे कई अधिकारी साफ बच गए। ईडी दिल्ली ने भी मामले में प्रकरण कायम किया, पर कोई प्रगति नहीं दिख रही है। हनी ट्रैप में ब्लैकमेलिंग की शिकायत करने वाले ननि के तत्कालीन इंजीनियर हरभजन का चार माह पहले निधन हो चुका है। वहीं प्रदेश में ई-टेंडर घोटाला वर्ष 2018 में सामने आया था। यह टेंडर लगभग 3000 करोड़ के थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। इसके बाद कांग्रेस की कमल नाथ सरकार आने पर मामले में तेजी से कार्रवाई हुई। तत्कालीन जल संसाधन मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा के पीए वीरेंद्र पांडे और निर्मल अवस्थी को भी आरोपित बनाया गया था। बाद में वर्ष 2022 में ईओडब्ल्यू ने साक्ष्य के अभाव में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष कोर्ट में खात्मा रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। परीक्षण के बाद जनवरी 2024 में कोर्ट ने खात्मा लगाने से मना करते हुए दोबारा जांच के लिए कहा था। अभी जांच चल रही है। इसी तरह माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में भी कांग्रेस की कमल नाथ सरकार के दौरान भर्ती में घोटाला उजागर हुआ था। मामले में तत्कालीन कुलपति बीके कुठियाला सहित 20 लोगों को आरोपित बनाया गया था। इसमें नियम विरुद्ध भर्तियों के अतिरिक्त विश्वविद्यालय की राशि का निजी कामों में उपयोग का आरोप था। इसमें भी ईओडब्ल्यू द्वारा मामले में खात्मा रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया था। इसे कोर्ट ने अस्वीकार कर जांच करने के लिए कहा था। दोबारा जांच के बाद अंतिम रूप से मामले में खात्मा लग गया है।