रायपुर । छत्‍तीसगढ़ में साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी अपनी-अपनी तरफ से प्रयासरत हैं। प्रदेश में इस वक्‍त आदिवासी आरक्षण का मुद्दा गर्माया हुआ है। इसे लेकर जहां एक तरफ भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश में है वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस भी आदिवासी समाज के प्रति गंभीर रवैया अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसी क्रम में आदिवासी आरक्षण के विषय को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत को भेजा गया है। उनसे आगामी एक एवं दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने का आग्रह किया गया है।

विधानसभा विशेष सत्र - आदिवासी आरक्षण के विषय को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत जी को भेजा है।आगामी एक एवं दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का आग्रह किया है।

मालूम हो कि इससे पहले राज्‍य में आदिवासियों के आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए राज्य सरकार ने तीन आइएएस अधिकारियों के नेतृत्व में पांच सदस्यीय अध्ययन दल का गठन किया है। आइएएस शम्मी आबिदी महाराष्ट्र, पी अन्बलगन तमिलनाडु और भीम सिंह अपने दल के साथ कर्नाटक जाएंगे।इनका काम इन राज्‍यों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण के प्रविधानों के संबंध में सुसंगत जानकारी जुटाना है, जिसकी जानकारी क्वांटिफिएबल डाटा आयोग आदि को सौंपी जाएगी।

मामला दरअसल यह है कि बिलासपुर हाइकोर्ट ने 19 सितंबर को राज्‍य के शैक्षणिक संस्‍थानों और सरकारी नौकरियों में 58 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द किए जाने का फैसला सुनाया था। इसे लेकर खूब हंगामा हुआ। इस दौरान एसटी आरक्षण को 32 से घटाकर 20 फीसदी कर दिया गया, एससी के लिए 16 से 12 फीसदी हो गया और ओबीसी के लिए 14 फीसदी आरक्षण मान्‍य रखा गया।