दमोह ।    मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के गोहरगंज में दमोह के तीन बच्चे जो अपने माता-पिता से बिछड़ गए थे। उन बच्चों का मुस्लिम नाम रख कर बाल गृह में रखा गया था। पिता ने बच्चों को खोजने के लिए काफी प्रयास किए और जब पिता को बच्चों की जानकारी मिल गई, लेकिन यह तीनों बच्चे जिस संस्था के पास थे। उस संस्था ने इन बच्चों को देने से मना कर दिया। इस संबंध में अभी हाल ही में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांश कानूनगो ने इस मामले में गंभीरता का परिचय देते हुए तीनों बच्चों को उसके पिता के सुपुर्द कराया है। इस मामले में बुधवार की रात्रि तीनों बच्चे दमोह पहुंचे और रात्रि में विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने शिव मंदिर में पूरे हिंदू रीति रिवाज से इन बच्चों की वापसी कराई। इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना काल में वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान भोपाल के मंडीदीप में गार्ड की नौकरी करने वाले पिता से तीनों बच्चे बिछड़ गए थे। बाद में उन्हें रायसेन के गोदी शिशु गृह गोहरगंज में रखा गया था, लेकिन वहां पर इनका नाम शाहरुख, सुहाना और रुकसाना रख दिया गया। इनके आधार कार्ड भी इसी नाम से बनवा दिए गए। जबकि जब इस शिशु गृह में यह बच्चे पहुंचे थे तो इनके नाम हिंदू थे, लेकिन शिशु गृह में पहुंचते ही वहां के संचालक हसीन परवेज द्वारा इनके नाम बदल दिए गए। जब जांच में इस बात का उजागर हुआ कि इन बच्चों के माता-पिता हिंदू हैं और इन्हें मुस्लिम बना दिया गया है तथा आधार कार्ड में भी मुस्लिम लिखवा दिया है। इस बात पर अभी हाल में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष जब दमोह पहुंचे थे तो इस मामले की शिकायत भी इन बच्चों के पिता ने अध्यक्ष से की थी। तब इस मामले में रायसेन के निरीक्षण के दौरान इस मामले के प्रकाश में आने के बाद रिहाई कराई गई और बाल आयोग के निर्देश पर हसीन परवेज संचालक को आरोपी बनाया गया है। वहीं रात्रि में ही यह तीनों बच्चे जिनमें दो बहन एक भाई जिनकी उम्र 4 साल 6 साल और 8 साल इन्हें वापस लाया गया और इन बच्चों को वापसी का प्रयास करने वाले दयालु ठाकुर ने बताया कि इन तीनों बच्चों के पिता हैं लेकिन मां की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। फिलहाल इन तीनों बच्चों को उनके पिता के साथ उनके गृह ग्राम दमोह तहसील के अंतर्गत ही भेज दिया गया है।