घरेलू क्रिकेट में मुंबई की 'रन मशीन' कहे जाने वाले सरफराज खान को चयनकर्ताओं ने लंबे समय तक नजरअंदाज करने के बाद आखिरकार मौका देना ही पड़ा। विराट कोहली ने जब शुरुआत दो टेस्ट मैचों से हटने का निर्णय लिया था तो उनके विकल्प के तौर पर सरफराज और रजत पाटीदार का नाम सबसे पहले आया था, लेकिन चयनकर्ताओं ने पाटीदार को चुना।

भारत ए की ओर से ठोका शतक

इसके बाद सरफराज ने इंग्लैंड लायंस के विरुद्ध भारत ए की ओर से शतक ठोकते हुए 161 रन की पारी खेली और एक बार फिर चयनकर्ताओं के सामने दावा ठोका। अब केएल राहुल के चोटिल होने पर उन्हें टीम में जगह मिली है। सरफराज काफी वक्त से मुंबई टीम के लिए कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं। रणजी ट्राफी में उनके नाम तिहरा शतक भी है। वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 45 मैचों की 66 पारियों में 3912 रन बना चुके हैं। इसमें 14 शतक और 11 अर्धशतक शामिल हैं। इस दौरान उनका औसत 69.85 का है।

सरफराज खान ने लगातार बल्ले से दमदार प्रदर्शन जारी रखा

इसके अलावा लिस्ट ए में 37 मैचों में उनके नाम 629 रन हैं। एक वक्त फिटनेस के कारण आलोचना झेलने वाले सरफराज खान ने लगातार बल्ले से दमदार प्रदर्शन जारी रखा और हार नहीं मानी। 2022-23 के सीजन में सरफराज ने छह मैच में 92.66 की औसत से 556 रन बनाए हैं, जिसमें तीन शतक भी शामिल हैं।

2021-22 के सीजन के छह मैच में उन्होंने 122.75 की औसत से 982 रन बनाए, जिसमें चार शतक शामिल हैं। 2019-20 के सीजन में मुंबई के लिए सरफराज ने छह मैच में 154.66 की शानदार औसत से 928 रन बनाए जिसमें तीन शतक थे। तीन घरेलू सीजन में उनके 2466 रन हैं, जो शानदार रिकार्ड है। पिछले तीन सीजन में उनके अलावा ऐसा कोई बल्लेबाज नहीं हैं जिसने ऐसा कुछ कारनामा किया हो।

भारतीय बल्लेबाजों को बदलनी होगी मानसिकता

हैदराबाद में इंग्लैंड टीम की 28 रन से ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद अब भारतीय टीम चार दिन बाद शुरू होने वाले विशाखापत्तनम टेस्ट में खुद को मानसिक और तकनीकी रूप से मुश्किल में देख रही है। कुछ लोग भले ही मौजूदा दौरे की तुलना तीन वर्ष पहले इंग्लैंड के भारत दौरे से करने का प्रयास करेंगे, जहां इंग्लैंड ने जो रूट की कप्तानी में चेन्नई में भारत को 227 रन से हराया था, लेकिन चार दिन बाद विराट कोहली की कप्तानी वाली भारतीय टीम उसी स्टेडियम में फिर उतरी और जीत दर्ज कर सीरीज बराबर की। तब भारत के पास मध्यक्रम में कोहली, अजिंक्य रहाणे और रिषभ पंत थे जो स्पिन से प्रभावी ढंग से निपट सकते थे। लेकिन मौजूदा टीम में शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर स्पिन के विरुद्ध परेशानी का सामना कर रहे हैं।

विशाखापत्तनम की पिच हैदराबाद में इस्तेमाल की गई पिच से पूरी तरह से अलग नहीं हो सकती है। इस कारण दूसरे टेस्ट में भारत को जीत दिलाने का दारोमदार बल्लेबाजों पर होगा और उन्हें मानसिकता के साथ तकनीक में भी सुधार करना होगा, क्योकि रैंक टर्नर पर भारतीय बल्लेबाज भी फंसते हैं। अब भारतीय बल्लेबाजों के लिए इंग्लैंड के स्पिनरों के सामने बेहतर खेल दिखाना होगा।

ऑफ स्पिनर शोएब बशीर भी वीजा समस्या हल होने के बाद अब टीम से जुड़ गए हैं। एक पूर्व भारतीय बल्लेबाज ने कहा, मुझे नहीं पता कि विशाखपात्तनम में किस तरह की पिच होगी। जो भी हो भारतीय टीम को जल्दी संगठित होने की आवश्यकता है, क्योंकि इंग्लैंड के मुंह में खून लग गया है। इंग्लैंड की यह टीम पिछली बार हमने जो देखी थी उससे अलग है।

बल्लेबाजी के प्रति पूरी मानसिकता बदलने के लिए पर्याप्त समय नहीं

हमारे कई युवा बल्लेबाजों के साथ समस्या यह है कि वे बड़े शाट खेलकर स्पिनरों पर हावी होने की कोशिश करते हैं। लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि एक या दो रन के लिए गेंद को इधर-उधर घुमाना भी स्पिनरों पर प्रभावी होने का एक तरीका है जो अधिक जोखिम मुक्त तरीका है। आपको स्पिनरों की अनुकूल पिचों पर अपनी कलाइयों और पैरों का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है। बल्लेबाजी के प्रति पूरी मानसिकता बदलने के लिए पर्याप्त समय नहीं है लेकिन उम्मीद है कि उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा होगा।