17 साल में 5 से 60 हजार हुई हिज्बुल्ला के लड़ाकों की संख्या
तेलअवीव । इजरायल और हमास के बीच युद्ध को बीस दिन हो चुके हैं। अभी इस जंग के फिलहाल खत्म होने की कोई संभावना नहीं है। वहां इसलिए क्योंकि इजरायल का कहना है कि जब तक हमास खत्म नहीं होता, तब तक जंग जारी रहेगी।
इस बीच इजरायली राष्ट्रपति इसहाक हेर्जोग का कहना है कि अगर हिज्बुल्ला बीच में कूदता है, तब लेबनान को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
हेर्जोग ने कहा, मुझे लगता है कि ईरान उनका समर्थन कर रहा है और मिडिल ईस्ट को अस्थिर करने के लिए दिन-ब-दिन काम कर रहा है। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि हम उत्तरी सीमा पर किसी और के साथ टकराव नहीं चाहते हैं। हमारा ध्यान सिर्फ हमास को खत्म करने और अपने नागरिकों को वापस लाने पर है। लेकिन अगर हिज्बुल्ला हमें इस युद्ध में घसीटेगा, तब ये साफ होना चाहिए कि लेबनान को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। वहीं इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी कहा कि अगर हिज्बुल्ला इस लड़ाई में शामिल होने की गलती करता है, तब हिज्बुल्ला को इसका पछतावा होगा।
बहरहाल, माना जा रहा है कि इजरायल के खिलाफ जंग में हिज्बुल्ला उसका साथ दे रहा है। इस जंग में इजरायली हमलों में हिज्बुल्ला के भी कई लड़ाके मारे गए हैं। इजरायली सेना ने हिज्बुल्ला के कुछ ठिकानों पर हमला भी किया। दो दिन पहले हिज्बुल्ला ने दावा किया था कि दक्षिणी लेबनान के अयनाता गांव में इजरायली हमले में उसके एक सदस्य की मौत हो गई थी।
इजरायल और हिज्बुल्ला एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं। जुलाई 2006 में हिज्बुल्ला ने दो इजरायली सैनिकों को बंधक बना लिया था। इसके जवाब में इजरायल ने जंग छेड़ दी थी।
34 दिन तक चली इजरायल और हिज्बुल्ला की जंग में 1100 से ज्यादा लेबनानी नागरिक मारे गए थे। इजरायल के भी 165 नागरिकों की इसमें मौत हुई थी। इंटरनेशनल रेड क्रॉस कमेटी के मुताबिक, उस जंग में इजरायली सेना ने 30 हजार से ज्यादा घर या तब पूरी तरह तबाह कर दिए थे या फिर उन्हें क्षति पहुंचाई थी। 109 पुल और 78 मेडिकल फैसेलिटी को डैमेज कर दिया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब हिज्बुल्ला के पास तीन से पांच हजार लड़ाके थे और कम दूरी की मिसाइलें ही थीं। लेकिन बीते 17 साल में न सिर्फ उसका संगठन बड़ा हुआ है, बल्कि हथियारों का जखीरा भी काफी बढ़ा है।
ऐसा अनुमान है कि आज के समय में हिज्बुल्ला के पास 60 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं। इतना ही नहीं, 2006 में उसके सिर्फ 14 हजार मिसाइलें थीं, जिनकी संख्या अब बढ़कर डेढ़ लाख से ज्यादा हो गई होगी।
हिज्बुल्ला के पास आज के समय कम दूरी में मार करने वाली मिसाइलें हैं ही। इनके अलावा उसके पास ईरानी मिसाइलें भी हैं जो 300 किलोमीटर की दूरी तक मार सकती हैं।
इसके अलावा हिज्बुल्ला की एक स्पेशल फोर्स भी है, जिसे युद्ध के समय इजरायल में घुसपैठ करने के लिए खास ट्रेनिंग दी गई है।
जानकारों का मानना है कि सीरिया युद्ध ने हिज्बुल्ला को अपनी क्षमताओं में सुधार करने का मौका दिया।
1982 में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने इस आतंकी संगठन को बनाया था। इसका मकसद ईरान में हुई इस्लामी क्रांति को दूसरे देश में फैलाना और लेबनान में इजरायली सेना के खिलाफ मोर्चा खड़ा करना था।
हमास और हिजबुल्ला, दोनों ही संगठनों का एक ही मकसद है और वहां है, इजरायल का विनाश। हमास और हिज्बुल्ला, दोनों को ही अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।
हिज्बुल्ला के पास इसतरह के रॉकेट हैं, जो इजरायल के किसी भी हिस्से को टारगेट कर सकते हैं। अगर हमास और हिज्बुल्ला एकसाथ हमला करते हैं, तब इजरायल के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
हिज्बुल्ला इजरायल के उत्तर में है, तब हमास गाजा पट्टी में सक्रिय है। इनके पास रॉकेट, मिसाइलों, एंटी-टैंक मिसाइलों और एयर डिफेंस सिस्टम जैसे हथियार हैं। हिज्बुल्ला के पास किसी देश की सेना के बराबर क्षमता है।