भोपाल । शहरों में अतिक्रमण भले ही जनता के बीच एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन राजनैतिक दलों ने इसे दरकिनार कर दिया है। यही वजह है कि निकाय चुनाव के दौरान यह कांग्रेस से इतर सजग मानी जानी वाली आम आदमी जैसी पार्टी के घोषणा पत्र में यह स्थान नहीं बना पाया है। जबकि सार्वजनिक स्थानों पर व्यापारिक दृष्टि से किया गया अतिक्रमण प्रदेश भर में निकायों के लिये चुनौती से कम नहीं है। बावजूद इसके राजनैतिक दलों ने इस मुद्दे को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई है। इसमें तीसरे दल में सुमार पहली बार निकाय चुनावों में किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी ही नहीं, प्रमुख विपक्षी दल भाजपा व कांग्रेस भी शामिल है। हालांकि इन दोनों ने ही भोपाल को स्वच्छ, सुंदर एवं सुरक्षित रूप में देश का नं. 1 महानगर बनाने का दावा किया है, लेकिन अतिक्रमण हटाने की ठोस योजना के बिना यह कैसे संभव होगा यह बताने की साहस भी नहीं दिखा पाए हैं। जबकि यह अतिक्रमण ही निगम अधिकारियों और अतिक्रमणकारियों के बीच आए दिन विवाद की वजह बनता है। वहीं निगम को इन्हें हटाने के लिये सालाना करोड़ों रूपये की राशि का प्रावधान करना पड़ता है। यह राशि कर के नाम पर उस जनता से जुटाई जाती है जिसके लिये अतिक्रमण पहले से परेशानी का सबब बना हुआ है।

इसलिये नजर अंदाज- निगम की आय का जरिया है अतिक्रमण
अतिक्रमण को लेकर राजनैतिक दल इसलिये भी ज्यादा गंभीर नहीं माने जाते  हैं क्योंकि यह निगम की आय का जरिया है। भोपाल में ही नगर निगम 13 स्थानों से तहबाजारी के नाम पर सड़क किनारे अतिक्रमण कर रोजगार चलाने वालों से वसूली करता है। करोड़ों रूपये की राशि तहबाजारी से ही जुटाई जाती है। जबकि इनके लिये करोड़ों रूपये खर्च कर 18 स्थानों पर हाकर्स कॉनर भी बनाए गए हैं।

 निकलता है छुटभैये नेताओं का खर्च
राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र में अतिक्रमण का मुद्दा दरकिनार करने की एक वजह और बताई जाती है। जानकार बताते हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर होने वाले यह अतिक्रमण ही नेताओं द्वारा पाले गये छुटभैये नेताओं का खर्च निकालते हैं। बढ़ते अतिक्रमण के लिये इनको ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसके बदले यह मोटी रकम ऐंठते हैं। यही वजह है कि न्यूमार्केट से लेकर एमपी नगर आज तक अतिक्रमण मुक्त नहीं हो पाए हैं।

अतिक्रमण शाखा लगता है बड़ा संसाधन
अतिक्रमण शाखा के क्रियांवयन के लिये निगम को न केवल बड़ी राशि खर्च करता है बल्कि इसमें बड़ा संसाधन झोंकता है। निगम अधिकारियों के मुताबिक अतिक्रमण नियंत्रित करने के लिये पृथक से शाखा ही बना दी गई है। जिसमें 04 खुले ट्रक एवं 01 पिकअप एवं पदस्थ पुलिस के लिए 01 पुलिस वाहन कार्य करती है। जिसके द्वारा कार्यवाही के दौरान सामाग्री जप्त की जाती है।