भोपाल । सरकार केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व में वन्य जीवों पर पडऩे वाले प्रभावों से निपटने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना पर जल्द काम शुरू करेगी। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूडब्ल्यूआई) ने विस्तृत अध्ययन के बाद तैयार ताजा रिपोर्ट में इस कार्ययोजना को लागू करने के लिए विशेष उद्देश्यीय कंपनी गठित करने का सुझाव दिया गया है जिसके तहत ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप काउंसिल (जीपीएलसी) का गठन किया जाएगा। विस्थापन की कार्ययोजना पर काम करने के लिए सामुदायिक सहभागिता एवं ग्राम विकास के साथ बाघ, गिद्ध, घडिय़ाल जैसे जीवों एवं जैव-विविधता के संरक्षण का खाका तैयार किया गया है।
डब्ल्यूडब्ल्यूआई की रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप समन्वित प्रबंधन योजना पर अमल के लिए 3186 करोड़ रूपए का बजटीय अनुमान का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रस्तावित कार्ययोजना में समन्वित शोध एवं शिक्षण केंद्र तथा ग्रेटर पन्ना तकनीकी परामर्श समिति गठित करने का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पन्ना बाघ अभ्यारण्य में अभी 60 बाघ हैं। इसका 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र बाघों के आवास के लिये उपयुक्त है और एक बड़ा क्षेत्र अभी भी खाली है जहां बाघों का आवास क्षेत्र विकसित किया जा सकता है। कार्य योजना के तहत पन्ना बाघ अभयारण्य में बाघों के लिए अधिवास क्षेत्र में 22 प्रतिशत वृद्धि करने तथा इनकी आबादी को करीब 200 तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।
रिपोर्ट में नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य तथा उत्तर प्रदेश में रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य के साथ संपर्क गलियारा स्थापित करने का सुझाव दिया गया है जिससे इस क्षेत्र में मानव-पशु संघर्ष को कम करने तथा बाघ पर्यावास की क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है। इस कार्य योजना में गिद्धों के संरक्षण का भी खास ध्यान रखा गया है। पन्ना बाघ अभयारण्य में गिद्धों की सात प्रजातियां पाई जाती हैं।