तिरुपति के बंद कपाट में तैयार हुआ अष्ट बंधन

तिरुपति के तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर में मंगलवार 14 अगस्त को हर 12 साल पर होने वाला अष्ट बंधन संप्रोक्षणम् अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इस आयोजन के कारण 9 अगस्त से लेकर 17 अगस्त की सुबह तक आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट बंद हैं। इसकी वजह यह है कि इस आयोजन में मंदिर के प्रमुख पुजारी और पंडित ही भाग लेते हैं। इससे पहले जब यह आयोजन होता था तब मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह बंद नहीं किए जाते थे।
इसलिए श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं 17 अगस्त तक तिरुपति के कपाट
इस बार श्रद्धालुओं के लिए कपाट बंद किए जाने को लेकर मंदिर के अधिकारी कह रहे हैं कि पूर्व में श्रद्धालुओं की संख्या कम होती थी इसलिए कुछ घंटों के लिए श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट अष्ट बंधन संप्रोक्षणम् अनुष्ठान के दौरान खोले जाते थे। लेकिन अब हर दिन लगभग 1 लाख के करीब श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं ऐसे में व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ऐसा निर्णय लिया गया है।
अष्ट बंधन अनुष्ठान में वैदिक पंडितों ने भाग लिया और एक खास तरह का लेप (पेस्ट) पूजन के लिए तैयार किया। इस अनुष्ठान का यहां धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है और इस लेप को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
अष्ट बंधन संप्रोक्षणम् में आठ तरह की वस्तुओं-लाख, राल, गेरू लाल, मक्खन, शंख का चूर्ण, मोम, पित्त अखरोट, रूई को कूटकर एक खास तरह का लेप (पेस्ट) तैयार किया जाता है। यहां लेप तैयार करते हुए पंडितो को देखिए।
आठ प्रकार के तत्वों को मिलाकर वैदिक मंत्रों के साथ ओखल में कूटकर तैयार होता है अष्ट बंधन। इस खास पेस्ट में आठ तत्व मिलकर एक हो जाते हैं इसलिए इसका नाम है अष्ठबंधन यानी 8 को एक में बांधना।
अष्टबंधन अनुष्ठान के लिए देश के धनवान मंदिरों में से एक तिरुपति बालाजी का मंदिर जिसे वेंकटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है सज-धज कर तैयार हुआ।
मंदिर को सजाने में जुटे हैं कार्यकर्ता, स्वर्ण आभा से दमकता हुआ मंदिर अपनी समृद्धि की कहानी कह रहा है। हलांकि श्रद्धालुओं के लिए कपाट बंद हो जाने के कारण मंदिर की कमाई में कमी आई है और बीते रविवार को मंदिर में दान में मात्र 73 लाख आए जबकि यहां हर दिन करीब 3 करोड़ का दान आता है।